एक ओर वह धर्म है जो अज्ञान, अहंकार और अंधश्रद्धा पर आधारित है — और दूसरी ओर वह धर्म है जो ज्ञान, विज्ञान, तथ्य और आस्था की नींव पर टिका है।
जब हम दो विचारधाराओं की बात करते हैं, तो इन दो धर्मों के इस अंतर को समझना भी उतना ही आवश्यक हो जाता है।
आज जब धर्म देश में विनाश का माध्यम बनता जा रहा है, जब लोगों के मन में अंधविश्वास, चिंता और शंका गहराती जा रही है — ऐसे समय में हरिद्वार के मातृसदन में हुआ हमारा यह गहन चिंतन एक नई दिशा लेकर उभरा है।
यह चिंतन केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक चेतना का भी प्रतीक है — क्योंकि जब तक हम राजनीति के वास्तविक अर्थ को नहीं समझते, तब तक किसी भी प्रकार का राष्ट्रनिर्माण अधूरा रहेगा।
इसी भावना के साथ, हरिद्वार के मातृसदन में आयोजित ३ दिवसीय कांग्रेस सेवादल जनसेवा कार्यक्रम का आज सफल समापन हुआ।
देशभर से आए जनसेवकों ने गंगा की अविरलता और निर्मलता की गहरी समझ के साथ, एक स्पष्ट लक्ष्य और दृढ़ संकल्प लेकर आगे बढ़ने का संदेश दिया। 🌊🇮🇳
यह केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सेवा, समर्पण और विचार की नई यात्रा की शुरुआत है — जहाँ धर्म, राजनीति और जनसेवा, तीनों का संगम एक ही उद्देश्य की ओर अग्रसर है — राष्ट्र और मानवता की रक्षा।


Leave a Reply